उज्ह बहुउद्देशीय परियोजना (Ujh Multipurpose Project) को सिंधु जल संधि के तहत भारत के अधिकारों में तेजी से उपयोग करने की योजना है।
- यह परियोजना सिंधु जल संधि के अनुसार भारत को आवंटित पूर्वी नदियों के पानी के उपयोग को बढ़ाएगी।
स्थान (Location): उज्ह परियोजना का निर्माण जम्मू और कश्मीर के कठुआ जिले में उज्ज नदी पर करने की योजना है।
- उज्ह नदी, रावी नदी की एक सहायक नदी है।
सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty)
सिंधु नदी प्रणाली में सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज शामिल हैं। यह बेसिन भारत और पाकिस्तान द्वारा साझा किया जाता है।
- 1960 में भारत और पाकिस्तान के मध्य हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि के तहत भारत के उपयोग के लिए तीन नदियों अर्थात् रावी, सतलज और ब्यास (पूर्वी नदियों) का पानी उपलब्ध होगा। जबकि, पश्चिमी नदियों − सिंधु, झेलम, और चिनाब का जल पाकिस्तान को निर्दिष्ट घरेलू, गैर-उपभोग्य और कृषि उपयोग के लिए आवंटित किए गए थे।
भारत को पश्चिमी नदियों पर नदी (River on Western Rivers − RoR) परियोजनाओं के माध्यम से पनबिजली उत्पादन का अधिकार भी दिया गया है, जो डिजाइन और संचालन के लिए विशिष्ट मानदंडों के अधीन अप्रतिबंधित है।
भारत को सिंचाई, बिजली उत्पादन और परिवहन उद्देश्यों के लिए सिंधु, चिनाब और झेलम (पश्चिमी नदियों) के पानी का 20% उपयोग करने की अनुमति है।
यह एक अनोखी संधि है जिसमें विश्व बैंक द्वारा ब्रोकरों को शामिल किया गया था।
संधि को लागू करने और प्रबंधित करने के लिए एक स्थायी सिंधु आयोग द्वारा एक द्विपक्षीय आयोग के रूप में स्थापित किया गया था।
- यह आयोग पानी के बंटवारे को लेकर उत्पन्न विवादों को हल करता है।
- संधि विवादों को सौहार्दपूर्वक हल करने के लिए एक मध्यस्थता तंत्र भी प्रदान करती है।