मोहन खाल तांबे की खान उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित है।
हिन्दी कवि नागार्जुन, उत्तराखंड के जहरीखाल (पौड़ी) नामक स्थान से संबंधित है।
बद्रीनाथ धाम को नरहरि तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है।
जौनसारी जनजाति द्वारा अंडे कांडे डांस नामक नृत्य किया जाता है।
चमोली में स्थित चिनाप घाटी को भी फूलों की घाटी के नाम से जाना जाता है।
द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्त करने वाली हंसा मनराल उत्तराखंड राज्य से प्रथम व्यक्ति है।
भैरव दत्त धुलिया द्वारा अंग्रेजों को हिन्दुस्तान से निकाल दो नामक पुस्तक की रचना की गयी थी।
नाथ सम्प्रदाय के अनुयायी – गोपीचंद, भृतहरि एवं अजयपाल नाथ सम्प्रदाय के अनुयायी थे।
वर्ष 2015 में उत्तराखंड सरकार द्वारा उत्तराखंड खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर देव भूमि खेल रत्न पुरस्कार कर दिया गया।
मुगल सेनापति (नवाजत खाँ) ने रानी कर्णावती से पराजित होने के बाद आत्महत्या कर ली थी।
यूरोपीय यात्री फिंच, परमार वंश के शासक मानशाह के शासनकाल में उत्तराखंड की यात्रा पर आया था।
वर्ष 1988 में शोबन सिंह जीना द्वारा उत्तराखंड विकास परिषद (Uttarakhand Development Council) का गठन किया गया था। सोबन सिंह जीना बेस अस्पताल उत्तराखंड के नैनीताल (हल्द्वानी) जिले में स्थित है।
सदानंद कुकरेती द्वारा स्वतन्त्रता आंदोलन के समय गढ़वाल में सिगांली राष्ट्रीय विद्यालय की स्थापना की गयी थी।
नेताजी सुभाष चंद्र बोसे द्वारा गठित आजाद हिन्द फौज में 12% सैनिक उत्तराखंड से थे।
कुली बेगार आंदोलन की शुरुआत सर्वप्रथम खत्याड़ी गांव (अल्मोड़ा) से हुई थी।
कुली बेगार आंदोलन के दमन की शुरुआत हेतु सर्वप्रथम शपथ समारोह का आयोजन चामी गाँव (अल्मोड़ा) में किया गया था।
रुड़की में, मिशन क्लीन गंगा के तहत शोध संस्थान की स्थापना की गयी है।
पंचेश्वर नामक स्थान पर कोइराला नदी व काली नदी का संगम होता है।
कत्यूर सैनिक रामू रजवाड़ द्वारा पूर्वी नयार नदी में तीलू रौतेली की हत्या कर दी गयी थी।
चंद शासक, उद्योत चंद के द्वारा बनाए गए मंदिरों को देवल या धौल कहा जाता है।