पंतनगर विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति डा. केनेथ एंथनी पार्कर स्टीवेंसन (Dr. Kenneth Anthony Parker Stevenson) थे।
वर्ष 1948 में कुमाऊं रेजीमेंट का मुख्यालय आगरा में रानीखेत में स्थानांतरित किया गया था।
कोटलीभेल परियोजना (Kotlibhel Project) उत्तराखंड के टिहरी जनपद में गंगा नदी पर निर्मित की गई है। इस परियोजना की विद्युत उत्पादन क्षमता 100 मेगावाट है।
वर्ष 1932 में इन्द्र सिंह नयाल की अध्यक्षता में अल्मोड़ा जनपद में कुमाऊं युवा सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
गिरीश तिवारी (गिर्दा) द्वारा “हम लड़ते रयां भूला” नामक कविता की रचना की गयी थी।
फ्रेडरिक विल्सन (Frederick Wilson) को द राजा ऑफ हर्षिल (The king of Harshil) के नाम से भी जाना जाता है।
उत्तराखंड राज्य के उधमसिंहनगर जिले में उज्जैन नामक किला स्थित है।
वर्ष 1931 में उत्तराखंड के लिए प्रथम वन पंचायत नियमावली बनाई गई थी।
नेपाली बाबा की गुफा उत्तराखंड में रुद्रनाथ (चमोली) नामक स्थान पर स्थित है।
वर्ष 1823 में ब्रिटिश कमिश्नर ट्रेल द्वारा अस्सीसाला, बंदोबस्त किया गया था।
मेजर पियरसन, उत्तराखंड के पहले वन संरक्षक थे।
हरीश लखेड़ा द्वारा उत्तराखंड आंदोलन स्मृतियों का हिमालय नामक पुस्तक की रचना की गयी थी।
गौरी बांध (Gauri Dam) उत्तराखंड के चंपावत जिले में स्थित है।
वर्ष 1839 में कुमाऊँ कमिश्नरी को दो वर्गों में विभाजित किया गया था।
ब्रिटिश सरकार द्वारा पंवार वंश के शासक कीर्तिशाह को वर्ष 1898 में C.S.I. की उपाधि से सम्मानित किया गया था। वर्ष 1900 में कीर्तिशाह ने यूरोप की यात्रा की थी।
वर्ष 1857 की क्रांति के समय नाना साहब, उत्तरकाशी जिले में आये थे।
उत्तराखंड के चमोली जिले में प्रत्येक वर्ष बंसत बुराँश मेले का आयोजन होता है।
वर्ष 1937 में टिहरी रियासत को पंजाब हिल स्टेट ऐजंसी (Punjab Hill State Agency) के साथ संयुक्त कर दिया गया था।
सरयू नदी का उद्गम उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में सरमूल नामक स्थान से होता है। खतनुगाड़ नदी का उदगम देहरादून जिले में चकराता नामक स्थान से होता है।
चंद वंश के शासको में पहला भूमि बन्दोबस्त, रत्नचंद द्वारा किया गया था।
17-18 अगस्त,1998 को कैलाश मानसरोवर यात्रा के मार्ग में पड़ने वाले पड़ाव मालपा में भूस्खलन (Landslide) हुआ था।
मुखवा गांव (उत्तरकाशी), गंगोत्री धाम के तीर्थ पुरोहितों का गांव है, जहाँ श्रद्धालुओं द्वारा शीत प्रवास किया जाता है।
उत्तराखंड व बाली द्वीप (इंडोनेशिया) के मध्य Sister City नामक समझौता किया गया है।
चन्द्र कुंवर बर्थवाल, शोध संस्थान उत्तराखंड के मसूरी में स्थित है।
हल्द्वानी (नैनीताल) का प्राचीन नाम बमोरी था।
साहित्यक विवरणों में उत्तराखंड की कोल जाति को शवर मुंड नाम से सम्बोधित किया गया है।
क्राचलदेव के बालेश्वर लेख में 10 मांडलिक राजाओं का नाम उल्लेखित किया गया है।
चंद वंश के शासक लक्ष्मीचंद ने बागनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।
काफल पर्वतीय क्षेत्रों में पाया जाने वाला एक प्रमुख फल है, जिसे गोरी फल के नाम से भी जाना जाता है।
दूधातौली पर्वत को उत्तराखंड का दूध का कटोरा और उत्तराखंड का पामीर के नाम से जाना जाता है।
रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा “केदारनाथ की सच्ची कहानियां” नामक पुस्तक की रचना की गयी थी।
बालकृष्ण भट्ट द्वारा “गढ़वाल जाति प्रकाश” नामक पुस्तक की रचना की गयी थी।
उत्तराखंड में नरेन्द्र नगर में सर्वाधिक वर्षा होती है, जिस कारण इसे उत्तराखंड का चेरापूंजी कहा जाता है।
नवाडाग (पिथौरागढ़) कैलाश मानसरोवर की यात्रा में पड़ने वाला अंतिम पड़ाव है।
तीन धारा नामक पर्यटक स्थल उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित है।
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में प्रत्येक वर्ष सिलगाड़ महोत्सव का आयोजन किया जाता है।