यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) या COP25 में पार्टियों के सम्मेलन का 25 वां संस्करण मैड्रिड (स्पेन) में 2 दिसंबर से शुरू हो गया है।
मूल रूप से, यह शिखर सम्मेलन चिली (दक्षिण अमेरिका) में आयोजित होने वाला था, किंतु पूरे देश में हिंसक जन आंदोलन के कारण इस सम्मेलन को मैड्रिड (स्पेन) में आयोजित किया गया।
COP25 के लिए एजेंडा
इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य 2015 पेरिस समझौते के लिए नियमों को पूर्ण करना है जो 1997 में क्योटो प्रोटोकॉल को बदलने के लिए 2020 में प्रभावी हो जाएगा।
इसका लक्ष्य कार्बन उत्सर्जन में कमी, विभिन्न देशों द्वारा निर्धारित अपने अलग-अलग लक्ष्य, आदि मुद्दे COP24 (पोलैंड) के दौरान अनसुलझे रहे। इस कारण पेरिस समझौते के तहत नियम पुस्तिका को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका।
इस शिखर सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय उत्सर्जन व्यापार प्रणालियों के कामकाज, गरीब देशों के लिए समुद्र के बढ़ते जल स्तर और जलवायु परिवर्तन के अन्य परिणामों से निपटने के लिए मुआवजे के बारे में भी चर्चा होगी।
यह संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा निर्मित वार्षिक उत्सर्जन गैप रिपोर्ट और जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (Intergovernmental Panel on Climate Change − IPCC) की रिपोर्टों पर विचार करेगा।
इस सम्मेलन के दौरान जलवायु परिवर्तन के बारे में जानकारी देने की प्रक्रिया और तरीके तय किए जाएंगे। विशेष रूप से, विकासशील देश यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि जलवायु परिवर्तन के कारण नुकसान और क्षति के मुद्दे की अधिक प्रशंसा और मान्यता हो।
जलवायु परिवर्तन से होने वाली घटनाओं जैसे चक्रवात या बाढ़ से हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति करने के लिए एक तंत्र स्थापित करने की मांग है।
जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए दीर्घकालिक कार्य योजना के लिए प्रतिबद्ध है।
अब तक, केवल 71 देशों, उनमें से अधिकांश छोटे उत्सर्जक, ने 2050 तक Net-zero emissions प्राप्त करने के लिए खुद को प्रतिबद्ध किया है।