प्रत्येक वर्ष 29 अप्रैल को प्रसिद्ध भारतीय चित्रकार राजा रवि वर्मा (1848-1906) की जयंती के रूप में मनाया जाता है। प्रमुख बिंदु प्रारंभिक जीवन और प्रशिक्षण: राजा रवि वर्मा का जन्म 1848 त्रावणकोर (केरल) में एक कुलीन परिवार में हुआ था। 14 वर्ष की आयु
Continue Reading..सलामी कर – यह अधिकारियों को भेंट स्वरुप दिया जाने वाला कर था। सौण्या फाल्गुन कर – यह कर त्योहारों व उत्सवों पर भेंट के रूप में लिया जाता था। खान व टकसाल कर। अधनी कानूनगो कर। सायर कर – यह व्यापारियों से लिया जाने
Continue Reading..टांड कर – यह कर वस्त्र बुनकरों से लिया जाता था। कटक कर – यह कर सेना के रख-रखाव के लिए लिया जाता था। बैकर कर – यह कर अनाज के रूप में लिया जाता था। कनक कर – इस कर का उल्लेख मूनाकोट ताम्रपत्र
Continue Reading..उत्तराखंड के तराई क्षेत्र में किस क्षेत्र में पाताल तोड़ कुएं मिलते है। उत्तराखंड में अधिकांश पर्यटन स्थल शिवालिक श्रेणी में स्थित है। शिवालिक पहाड़ियों को प्राचीनकाल में मैनाक पहाड़ियों के नाम से जाना जाता था। मसूरी (पहाड़ों की रानी), मध्य हिमालय श्रेणी में स्थित है।
Continue Reading..वैज्ञानिकों दृष्टिकोण से भारतीय भू-भाग को 5 भूकम्पीय क्षेत्रों (जोन) में विभाजित किया गया है। जिसमें 2 क्षेत्र (जोन) उत्तराखंड के अंतर्गत आते है – जोन 4 – इसके अंतर्गत संवेदनशील जिले आते है, जैसे – देहरादून, टिहरी, उत्तरकाशी, नैनीताल, उधमसिंह नगर। जोन 5 – इसके
Continue Reading..चंद वंश के शासक त्रिमलचंद द्वारा गढ़वाल नरेश श्यामशाह के दरबार में शरण ली गयी थी। कोसी का युद्ध वर्ष 1635 में चंद शासक त्रिमलचंद व गढ़वाल नरेश महिपतिशाह के मध्य लड़ा गया था। चंद वंश का अंतिम शासक महेन्द्रचंद्र था। चंद शासक इंद्रचंद ने चीन
Continue Reading..ग्रीष्म ऋतु को उत्तराखंड में रुड़ी व खर्साऊ बोलते है। वर्षा ऋतु को उत्तराखंड बसगाल व चौमासा कहते है। शीत ऋतु को उत्तराखंड स्यून्द व शीतकला के नाम से जाना जाता है। ग्रीष्म ऋतु मे सामान्यत: उत्तराखंड में उष्ण कटिबंधीय दशाएं पाई जाती है। हिमालयी
Continue Reading..वर्ष 2002 में गढ़वाल विश्वविद्यालय (श्रीनगर) द्वारा मलारी ग्राम (चमोली जिले) के प्रागैतिहासिक पुरास्थल की खुदाई की गयी थी। उत्तरकाशी (Uttarkashi) के हुडली से प्राप्त शैल चित्रों में नीले रंग (Blue Colour) का प्रयोग किया गया हैं। कसार देवी (अल्मोड़ा) में 14 नर्तकों के शैलचित्रों का सुंदर
Continue Reading..उत्तराखंड में बद्रिकाश्रम और कण्वाश्रम नामक दो प्रसिद्ध विद्यापीठ थे, जिनमें कण्वाश्रम विद्यापीठ, दुष्यन्त और शुकंतला के प्रेम-प्रसंग के लिए प्रसिद्ध है। कण्वाश्रम विद्यापीठ में चक्रवर्ती सम्राट भरत का जन्म हुआ था। महाकवि कालिदास द्वारा अपने महाकाव्य अभिज्ञान शाकुन्तलम की रचना मालिनी नदी के तट
Continue Reading..कुणिंद उत्तराखंड में शासन करने वाली प्रथम राजनीतिक शक्ति थी, इस वंश का सबसे शक्तिशाली शासक अमोघभूति था। अमोघभूति की रजत एवं ताम्र मुद्राएं पश्चिमी में व्यास से लेकर अलकनंदा तक तथा दक्षिण में सुनेत तथा वेहत तक प्राप्त हुई है। अमोघभूति प्रकार की मुद्राओं
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