मानसून की उत्पत्ति के जेट स्ट्रीम सिद्धांत का प्रतिपादन येस्ट (Yest) द्वारा किया गया है। जेट स्ट्रीम हवाएं ऊपरी वायुमण्डल (9-18 किमी.) के बीच अति तीव्रगामी वायु प्रवाह प्रणाली है। मध्य भाग में इसकी गति अधिकतम (340 किमी./घंटा) होती है। ये हवाएँ पृथ्वी के ऊपर
Continue Reading..भारतीय कृषि (Indian Agriculture) मुख्यत: मानसून (Monsoon) पर आधारित है, मानसून की उत्पत्ति के संबंध में विभिन्न विद्वानों ने अनेक संकल्पनाएँ प्रस्तुत की गयी। मानसून की उत्पत्ति की दो प्रमुख संकल्पनाएँ निम्नलिखित है – तापीय संकल्पना नवीन संकल्पना तापीय संकल्पना इस संकल्पना के अनुसार, मानसून
Continue Reading..मानसून की उत्पत्ति के विषुवतीय पछुआ पवन सिद्धांत (equatorial westward wind theory) का प्रतिपादन फ्लोन (Flon) द्वारा किया गया है। इस सिद्धांत के अनुसार, विषुवतीय पछुआ पवन को ही दक्षिण-पश्चिम मानसूनी पवन भी कहा जाता है। जिसकी उत्पत्ति अंत: ऊष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (Inter tropical Convergence
Continue Reading..एल नीनो (El Niño) की उत्पत्ति लगभग 3 से 8 वर्षों के अंतराल में पूर्वी प्रशांत महासागर ( Eastern Pacific Ocean) के पेरू तट (Peru coast) से होती है। एलनिनो की उत्पत्ति के समय महासागरों तथा वायुमण्डल की सामान्य दशाओं में एक विशिष्ट परिवर्तन होता है।
Continue Reading..मानसून की उत्पत्ति के तापीय सिद्धांत के अनुसार, मानसूनी पवनों (Monsoon winds) की उत्पत्ति का प्रमुख कारण ताप (Heat) है। ग्रीष्म ऋतु में सूर्य की किरणें उत्तरी गोलार्द्ध में लम्बवत (Perpendicular) पड़ती हैं। जिससे उत्तरी गोलार्द्ध में वृहत निम्न दाब (Low Pressure) का निर्माण होता
Continue Reading..भारत और पाकिस्तान के मध्य अंतर्राष्ट्रीय सीमा निर्धारण भारत और पाकिस्तान के मध्य अंतर्राष्ट्रीय सीमा पूर्णतः स्थलीय एवं कृत्रिम है, जो कश्मीर (Kashmir) से प्रारंभ होकर पंजाब (Punjab), पश्चिमी राजस्थान (Western Rajasthan) और कच्छ (Kutch) प्रदेश तक विस्तृत है। पाकिस्तान द्वारा कश्मीर के कुछ भू-भाग
Continue Reading..चक्रवात (Cylone) चक्रवात का संबंध निम्न वायुदाब के केन्द्र से हैं, जिनके चारों तरफ समर्केन्द्रीय समवायुदाब रेखाएँ विस्तृत होती हैं तथा केन्द्र से बाहर की ओर वायुदाब बढ़ता जाता है। परिणाम स्वरूप बाहर (परिधि) से केन्द्र की ओर हवाएँ चलने लगती है। हवा की दिशा
Continue Reading..वाताग्न वह सीमा है जिसके सहारे दो विपरीत स्वभाव वाली वायु (ठंडी व गर्म वायु) आपस मिलती हैं। यह ठंडी व गर्म वायु के मध्य 5 से 80 Km चौड़ी एक संक्रमण पेटी होती है। इसे वाताग्न प्रदेश भी कहा जाता है। वाताग्न उत्पत्ति की
Continue Reading..पृथ्वी की सतह पर वायु के भार द्वारा लगाया गया दाब, वायु दाब कहलाता है। वायुमंडल में ऊपर की तरफ जाने पर दाब (Pressure) तेजी से गिरने लगता है। समुद्र स्तर पर वायुदाब सर्वाधिक होता है और ऊंचाई पर जाने पर यह घटता जाता है।
Continue Reading..पृथ्वी पर औसत तापमान लगभग एक समान रहता है। यह सूर्यातप (Insolation) और भौतिक विकिरण (Physical radiation) में संतुलन के कारण ही संभव हुआ है। सूर्यातप (Insolation) और भौतिक विकिरण (Physical radiation) के मध्य संतुलन को ही पृथ्वी की उष्मा बजट (Heat budget) कहते हैं। यदि सूर्य से पृथ्वी
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